मालेगांव ब्लास्ट केस में विशेष अदालत के फैसले को भगवा व हिंदू की जीत बताने वालों का तांता लगा हुआ है। लेकिन हकीकत यही है कि इस केस का फैसला तो तभी लिख दिया था जब खुद NIA ने ही 2016 में सारे अभियुक्तों के खिलाफ सबूत न होने की बात अदालत में कह दी थी। आखिर कैसे एक जांच एजेंसी ने खुद ही अपने केस को खत्म कर दिया?
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